हाथ में चाबुक औरर बही है ।
मुँह मेरा आवाज़ तुम्हारी,
हम झूठे पर आप सही हैं।
पैरों में गिरना, मर जाना
क्या इनकी तकदीर यही है ?
माई-बाप हैं आप हमारे,
आपसे आगे कोई नहीं हैं ।
सिर झुक जाए सबके आगे
ये हमको मंजूर नहीं है ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल
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बहुत बढिया।बधाई।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है।बधाई।
ReplyDeleteपैरों में गिरना, मर जाना
ReplyDeleteक्या इनकी तकदीर यही है ?
बहुत ही भावुक कविता कही आप ने.
धन्यवाद