1/30/2009

मंजूर नहीं है

राम-राम क्या खूब कही है,
हाथ में चाबुक औरर बही है ।

मुँह मेरा आवाज़ तुम्हारी,
हम झूठे पर आप सही हैं।

पैरों में गिरना, मर जाना
क्या इनकी तकदीर यही है ?

माई-बाप हैं आप हमारे,
आपसे आगे कोई नहीं हैं ।

सिर झुक जाए सबके आगे
ये हमको मंजूर नहीं है ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल



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3 comments:

  1. बहुत बढिया।बधाई।

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  2. पैरों में गिरना, मर जाना
    क्या इनकी तकदीर यही है ?
    बहुत ही भावुक कविता कही आप ने.
    धन्यवाद

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