1/14/2009

तुम्हारे जाने के बाद


आज

पहली बार महसूस हुआ

सुबह की लालिमा में फीकापन

पक्षियों के कलरव में नीरसता

फूलों में ताजगी का अभाव

तुम्हारे जाने के बाद ।

शायद

और भी नाराज है

तुम्हारे जाने से

तभी तो बादलों ने

निकलने नहीं दिया सूरज को

दिन भर की कोशिश के बाद भी

नहीं भेद पाई सूरज की चुभती निगाहें

बादलों के विश्वास को

यही विश्वास

बल दे रहा है

मेरे विश्वास को

तुम्हारे जाने के बाद ।


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संजय परसाई की एक कविता


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1 comment:

  1. इस सूम्दर कविता के लिये संजय जी ओर आप का धन्यवाद

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