1/16/2009

रस्‍सी पर चलती लड़की

केवल दो वक्त की
रोटी के लिए
रस्सी पर चलती लड़की

पेट के बैलेन्स के लिए
बनाती है वह
रस्सी पर बैलेंस

तय करती है
खाली पेट से
रोटी तक का सफर
-----

संजय परसाई की एक कविता


यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001


कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी नजर डाले।

2 comments:

  1. कम से कम मेहनत कर के तो इज्जत की रोटी खाती है, लाख गुणे अच्छी ओर स्यानी है उन से जो रिश्वत खा कर अपने आप को अमीर कहते है.
    धन्यवाद

    ReplyDelete

अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.