बुराई
खुद करती है
कोशिश
अपने लक्ष्य को पाने की
यदि संभला न जाए
तो कर ले फतह किला
वो भी एक ही झटके में
कई रास्ते हैं
उसके पास
मंजिल पाने के
लेकिन
एक ही रास्ते पर चलकर
कर देता हूं निढाल
और सोचने पर मजबूर
और वो रास्ता है
सच्चाई
ईमानदारी
और
नेक नीयत का
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संजय परसाई की एक कविता
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
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1/18/2009
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एक ही रास्ते पर चलकर
ReplyDeleteकर देता हूं निढाल
और सोचने पर मजबूर
और वो रास्ता है
सच्चाई
ईमानदारी
और
नेक नीयत का
yahi ek rasta hai jo hame sukh shanti aur saphalta deta hai...
Regards...