1/18/2009

एक ही रास्ता

बुराई
खुद करती है
कोशिश
अपने लक्ष्य को पाने की
यदि संभला न जाए
तो कर ले फतह किला
वो भी एक ही झटके में
कई रास्ते हैं
उसके पास
मंजिल पाने के
लेकिन
एक ही रास्ते पर चलकर
कर देता हूं निढाल
और सोचने पर मजबूर
और वो रास्ता है
सच्चाई
ईमानदारी
और
नेक नीयत का
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संजय परसाई की एक कविता

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1 comment:

  1. एक ही रास्ते पर चलकर
    कर देता हूं निढाल
    और सोचने पर मजबूर
    और वो रास्ता है
    सच्चाई
    ईमानदारी
    और
    नेक नीयत का

    yahi ek rasta hai jo hame sukh shanti aur saphalta deta hai...

    Regards...

    ReplyDelete

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