।। भविष्यवाणी ।।
ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली
बताया है, वक्त बुरा है ।
ठीक नहीं है ग्रहों की चाल
अभी और गहराएगा संकट ।
फले-फूलेगा भ्रष्टाचार
अपराध बढ़ेंगे
पाखण्ड का बोलबाला होगा
चालाकी होगी सफल
झूठ आगे रहेगा सच के
अच्छाई की राह में
अभी और काँटे हैं ।
पंछी से आकाश और होगा दूर
खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा
फूल का शाख पर टिके रहना ।
नदियों में नहीं होगा पानी
हवा में घुलेगा जहर ।
बच्चों को नहीं मिलेगा समय
कि तैरा पाएँ कागज की कश्ती
वे कहानियों की जगह
गुनेंगे सामान्य ज्ञान ।
बाहर तो बाहर
घर में भी महफूज
नहीं रहेंगी बच्चियाँ ।
बुजुर्गों का इम्तिहान
और कड़ा होगा ।
बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान न करवाना
दान-धर्म न हो तो
कोई बात नहीं
हो सके तो बचाना
अपने भीतर सपने
भले ही हों वे
आटे में नमक जितने ।
मुश्किल घड़ी में जीना
सपनों के आसपास ।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे
बदलेगी ग्रहों की चाल ।
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पंकज शुक्ला 'परिमल' के काव्य संग्रह 'सपनों के आसपास' की यह पहली कविता मैं ने अपने ब्लाग 'एकोऽहम्' पर दिनांक 15 नवम्बर 2008 को पोस्ट की थी । यह कविता यहां देने का एक ही अभिप्राय है कि पंकज के इस काव्य संग्रह की समस्त कविताएं एक स्थान पर उपलब्ध हो जाएं ।
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एक सच्ची भविष्यवाणी .
ReplyDeleteधन्यवाद