1/03/2009

भविष्‍यवाणी




।। भविष्यवाणी ।।


ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली


बताया है, वक्त बुरा है ।


ठीक नहीं है ग्रहों की चाल


अभी और गहराएगा संकट ।


फले-फूलेगा भ्रष्‍टाचार


अपराध बढ़ेंगे


पाखण्ड का बोलबाला होगा


चालाकी होगी सफल


झूठ आगे रहेगा सच के


अच्छाई की राह में


अभी और काँटे हैं ।




पंछी से आकाश और होगा दूर


खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा


फूल का शाख पर टिके रहना ।


नदियों में नहीं होगा पानी


हवा में घुलेगा जहर ।




बच्चों को नहीं मिलेगा समय


कि तैरा पाएँ कागज की कश्‍ती


वे कहानियों की जगह


गुनेंगे सामान्य ज्ञान ।




बाहर तो बाहर


घर में भी महफूज


नहीं रहेंगी बच्चियाँ ।


बुजुर्गों का इम्तिहान


और कड़ा होगा ।


बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान‍ न करवाना


दान-धर्म न हो तो


कोई बात नहीं


हो सके तो बचाना


अपने भीतर सपने


भले ही हों वे


आटे में नमक जितने ।


मुश्किल घड़ी में जीना


सपनों के आसपास ।


देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे


बदलेगी ग्रहों की चाल ।


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पंकज शुक्‍ला 'परिमल' के काव्‍य संग्रह 'सपनों के आसपास' की यह पहली कविता मैं ने अपने ब्लाग 'एकोऽहम्' पर दिनांक 15 नवम्बर 2008 को पोस्ट की थी । यह कविता यहां देने का एक ही अभिप्राय है कि पंकज के इस काव्य संग्रह की समस्त कविताएं एक स्‍थान पर उपलब्ध हो जाएं ।


यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्‍य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001



कृपया मेरे ब्लाग 'एकोऽहम्' http://akoham.blogspot.com पर भी नजर डालें ।

1 comment:

  1. एक सच्ची भविष्‍‍‍यवाणी .
    धन्यवाद

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