शहर में न अब कोई बीमार होगा,
नुस्खा-ए-उल्फत असरदार होगा ।
सिखाई है सबको उज़ाले की बातें,
वो दिल में यकीनन अंगार होगा ।
है फौलाद लेकिन् नज़रें झुकी हैं,
किसी राजधानी का दरबार होगा ।
तुम्हारी चमकदार रातों से कह दो,
सुबह पर हमारा ही अधिकार होगा ।
कफ़स में यूँ सूरज कब तक रखोगे,
तुम्हारा ये मंसूबा बेकार होगा ।
दिलों से दिलों का सरोकार होगा ।
-----
आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी नजर डाले।
तुम्हारी चमकदार रातों से कह दो,
ReplyDeleteसुबह पर हमारा ही अधिकार होगा ।
Sundar rchana....
Badhai...
हमारे मुहल्ले में कल देखना तुम
ReplyDeleteदिलों से दिलों का सरोकार होगा
bahut sunder rachana
है फौलाद लेकिन् नज़रें झुकी हैं,
ReplyDeleteकिसी राजधानी का दरबार होगा ।
लेकिन आज कल तो इस से उलटा हो रहा है जी, राजधानी का अदना सा नेता भी अकड कर चलता है.
धन्यवाद