
और दिल की बात हो गई,
उनसे अपनी ख़्वाब में सही
आज मुलाकात हो गई।
एक बुत को सामने रखा
और उसको दी है दुआ,
यूँ ही बीते अपने सारे दिन
और यूँ ही रात हो गई ।
ज़िन्दगी में ऩज्म वो बनी
और बन गई कभी ग़ज़ल,
वो बनी ज़मीं-औ' आसमाँ
वो ही कायनात हो गई ।
उसको अपने साथ क्या लिया
और ज़रा देर ही चला,
इस फिज़ाँ में आ गई बहार,
प्यार की बरसात हो गई ।
हर कदम पै’ रास्ते मिले तो
लगा कि और कुछ चलें,
चलते-चलते यूँ ही एक दिन
मंज़िलों से बात हो गई ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल
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आशीष जी की रचना पढ़वाने का आभार:
ReplyDeleteएक बुत को सामने रखा
और उसको दी है दुआ,
यूँ ही बीते अपने सारे दिन
और यूँ ही रात हो गई ।
-बहुत बढ़िया.
हर कदम पै’ रास्ते मिले तो
ReplyDeleteलगा कि और कुछ चलें,
चलते-चलते यूँ ही एक दिन
मंज़िलों से बात हो गई ।
बहुत ही सुंदर गजल...
आप का ओर आशीष जी का धन्यवाद