3/24/2009

सिक्के

उस बूढ़े इतिहासकार ने
लगा दी अपनी गाढ़ी कमाई
और खून

चाँदी ताँबे और लोहे के सिक्कों में

वह लकड़ी का बक्सा
गोया कोई अजायबघर था
निकल रही थी उससे
सल्तनतें

दो हजार साल पुराने
युग सम्राट, शहंशाह,सुल्तान
जिनके जुल्म अंकित थे
इतिहास की किताबों में
और मनुष्यों की स्मृतियों में

मुझे नहीं मालूम
आख़िर वह बूढ़ा
क्या करना चाहता था
उन सल्तनतों से उलझ कर,
उन शाहों को अपनी यादों में
बरकरार रख कर

अलबत्ता यह जरूर है कि उन सिक्कों के
चेहरों पर मुकुटधारी माथों के साथ
अंकित थी धान की बालियां भी,
सूरज हालैण्ड का
और पवनसुत हनुमान भी रामायण वाले

मुदर्रिसी और स्कूल के स्टेज पर
पोरस, सिकन्दर का पार्ट करते करते
इतिहास के बरामदों में आ गया वह
पुराना शोधार्थी
गपिया रहा था न मालूम कब जन्मे
उन ब्यौपारियों से
जिन्होंने ही सबसे पहले ईज़ाद किये
सिक्के
बाद में सम्राटों की शमशीरें चमकी
सिक्कों पर (वह बता रहा था)

और अब? मैने उत्सुकतावश पूछ ही
लिया उस बूढ़े पुराविद से

गोरी, तुग़लक, बलबन,सुल्तान मालवा के,
राजे रजवाड़े,
दीनार, दरहम, डालर,फ्रैंक, लीरा

दुनिया सिमट आई थी पंच-कमरा
उस छोटे से मकान में

वहाँ खून था, साम्राज्य थे
और उगते सूरज में गीत गाती
फसलें भी

दीमक खाए गलियारों से बाहर
नदी बह रही थी सिक्के पर,
और बूढ़े के चेहरे पर भी
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रचना दिनांक 9.11.1999



रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।

अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।

प्रकाशित कृतियाँ- (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें, तुरपई
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़, हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’।
देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित ।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद ।
इंडियन वर्स, इंडियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड' और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँअंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124



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