हैं मेरे सच्चे साथी
बिन बुलाए आ जाते
खुशी व गम के मेरे
क्षणों को बाँटने
बिना किसी
मान-मनुहार के कर जाते
मेरा गम हल्का
खुद का अस्तित्व
समाप्त कर।
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संजय परसाई की एक कविता
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सच्चे साथी।
ReplyDeleteलगता है यह कविता खास आप के लिए लिखी है संजय ने।
आँसू
ReplyDeleteहैं मेरे सच्चे साथी
बिन बुलाए आ जाते
खुशी व गम के मेरे
क्षणों को बाँटने
bahut sunder