3/29/2009

आँसू

आँसू
हैं मेरे सच्चे साथी
बिन बुलाए आ जाते
खुशी व गम के मेरे
क्षणों को बाँटने

बिना किसी
मान-मनुहार के कर जाते
मेरा गम हल्का

खुद का अस्तित्व
समाप्त कर।
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संजय परसाई की एक कविता

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2 comments:

  1. सच्चे साथी।
    लगता है यह कविता खास आप के लिए लिखी है संजय ने।

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  2. आँसू
    हैं मेरे सच्चे साथी
    बिन बुलाए आ जाते
    खुशी व गम के मेरे
    क्षणों को बाँटने
    bahut sunder

    ReplyDelete

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