3/15/2009

माँ के लगाए गए सहजन में

ख्यात प्रगतिशील कवि रतन चौहान ने, मेरे चिट्ठे पर अपनी कविताएँ प्रकाशित करने की अनुमति देकर और तदनुसार अपनी कुछ कविताएँ उपलब्ध करवा कर मुझे और मेरे चिट्ठे को सम्मान ही प्रदान किया है। मैं उनका आभारी हूँ।
रतन चौहान की कविताएं हैं तो रतन चौहान की ही किन्‍तु उन्हें पढना शुरु करने के पहले ही क्षण से अनुभूति होने लगती है कि ये कविताएँ कहीं न कहीं हमारे भीतर से ही बाहर आ रही हैं। ख्यात कवि राजेश जोशी के मुताबिक ‘हमारे छोटे शहरों और कस्बों के जन संकुल समाज की तरह ही उनकी कविता में बहुत सारे लोग हैं, उनके दुख-सुख हैं, उनकी बोली बानी है और उनके बतियाने को हर पल महसूस करती ध्वनियाँ हैं।’ और यह कि ‘इन कविताओं को पढ़ते हुए लगता है जैसे आप शब्दों के बीच से नहीं, लोगों के बीच से गुजर रहे हों।’
ऐसी ही कुछ कविताएँ, नियमिति अन्तराल से इस चिट्ठे पर उपलब्ध होती रहेंगी।

माँ के लगाए गए सहजन में
फूल आ गए हैं

उसकी नर्म टहनियाँ
वसन्त हो गई हैं

अब अब कुछ ज़्यादा काँपने
लग गए माँ के हाथों ने
इसे अपनी सहोदर धरती
की कोख में रोपा था दो एक ऋतु पहले

झुर्रियों से भरी माँ की उंगलियों को छूकर
धरती आर्द्र हो गई थी

सहजन बूढ़ी माँ का बेटा
है
ग्रीष्म की लू लपट में
माँ की स्मृतियों को छाँह देता हुआ

सहजन में फूल आ गए हैं
माँ नहीं है

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रचना दिनांक 4 फरवरी 1999


रतन चौहान -
6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ- (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें, तुरपई
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न
पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़,
हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द
मेन’।
देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित ।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद ।
इंडियन वर्स, इंडियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ
अंग्रेजी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124

कृपया मेरे ब्‍‍लाग 'एकोऽहम्' http://akoham.blogspot.com पर भी एक नजर डालें।

2 comments:

  1. बहुत सुंदर,माँ को धरती की सहोदर कहना पहले अटपाटा और फिर अच्छा लगा।

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  2. बहुत ही सुंदर लगॊरतन चोहान जी की यह कविता.
    धन्यवाद

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