3/04/2009

यह फैसला अभी बाकी है

मिताक्षरा बन जाएगी

यह दुनिया एक दिन


जैसे खत्म हुई दूरियां

भाषा का कोष भी रीत जाएगा


जैसे नहीं रहेंगे

तुम्हारे खेत तुम्हारे

जैसे नहीं रहेंगे तुम्हारे

डांगर तुम्हारे


जैसे नहीं रहेंगे

तुम्हारे अपने तुम्हारे

जैसे नहीं रहेंगे तुम्हारे

सपने तुम्हारे


मिताक्षरा बन जाएगी

यह दुनिया एक दिन


लेकिन वह अक्षर

श्वेत दुनिया का होगा या स्याह दुनिया का

यह फैसला तो अभी बाकी है

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प्रगतिशील कवि जनेश्वर के ‘सतत् आदान के बिना शाश्वत प्रदाता के शिल्प में’ शीर्षक से शीघ्र प्रकाश्य काव्य संग्रह की एक कविता

यदि कोई सज्जन इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का उल्लेख अवश्य करें। यदि कोई इसे मुद्रित स्वरुप प्रदान करें तो सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें। मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.

कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी एक नजर अवश्य डालें।

1 comment:

  1. लेकिन वह अक्षर

    श्वेत दुनिया का होगा या स्याह दुनिया का

    यह फैसला तो अभी बाकी है
    बिलकुल सही कहा विष्णु बैरागी जी.
    धन्यवाद

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