tag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post7928011091552372573..comments2023-07-06T17:01:42.188+05:30Comments on मित्र-धन: फिजाँ में आ गई बहारविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-40520406967484384072009-03-03T22:16:00.000+05:302009-03-03T22:16:00.000+05:30हर कदम पै’ रास्ते मिले तो लगा कि और कुछ चलें,चलते-...हर कदम पै’ रास्ते मिले तो <BR/>लगा कि और कुछ चलें,<BR/>चलते-चलते यूँ ही एक दिन <BR/>मंज़िलों से बात हो गई ।<BR/>बहुत ही सुंदर गजल... <BR/>आप का ओर आशीष जी का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-55926470427280915402009-03-03T06:17:00.000+05:302009-03-03T06:17:00.000+05:30आशीष जी की रचना पढ़वाने का आभार:एक बुत को सामने रखा...आशीष जी की रचना पढ़वाने का आभार:<BR/><BR/>एक बुत को सामने रखा <BR/>और उसको दी है दुआ,<BR/>यूँ ही बीते अपने सारे दिन <BR/>और यूँ ही रात हो गई ।<BR/><BR/><BR/>-बहुत बढ़िया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com