4/29/2009

मुफलिसी

मुफलिसी में एक और मेहमान आया
मँका की दरारों में पीपल उग आया

मुफलिसी में राखी पे बच्चों ने फरमाइश दे दी
बहन ने चिट्ठी में लिखा, ‘‘दादा! हरियाला सावन आया’’

मुफलिसी में जैसे-तैसे चल रहा था घर खर्च
ऐसे में पत्नी का भारी पाँव नजर आया

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2 comments:

  1. मु्फ़लिसी मे खुशी का एहसास भी नही होता पाता,इस बात को बहुत दमदारी से सामने रखा है विजय जी।बधाई विजय जी को बढिया रचना के लिये और आभार आपका विष्णु भैया एक अच्छी रचना पढने का मौका देने के लिये।

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