निकल गई हैं बच्चियाँ खाली बोतलें ढूँढ़ने
जिन्हें रात को पीने वाले सड़कों के आसपास छोड़ गए है
काव्यात्मक नहीं है यह विषय
किन्तु इसने समय के चमकीले माथे पर कील ठोक दी है
यतीमखानों में बदल गई हैं सड़कें
जिनमें रोटी और पानी का पचास-पचास कोस तक
अता-पता नहीं है
हिन्दुस्तान में खेतों में खूब अनाज पैदा होता है
कोठारों में सड़ते रहते हैं गेहूँ के बोरे के बोरे
पर भूखी आँतों तक नहीं पहुँचता अन्न का स्वाद
कौन रोक लेता है उसे बीच में ही
तुम्हारे लिए ये प्रश्न ग़ैर ज़रूरी हैं
क्योंकि तुमने तो मारिजुआना जैसा कोई नशा कर रखा है
या फिर तुम्हें फुर्सत ही नहीं है
सुखों के आस्मान में उड़ने से
भूख का इज़ाफा होता जा रहा है
और एक दिन तुम्हारे चौके तक भी आ जाएगी
और चमचमाती प्लेटे होंगी, चम्मच होंगे
पर गरम-गरम फुलके और पत्ता गोभी का साग तक नहीं होगा
थाली में
तुम आबादी बढ़ने और जात-पात का तो
ढोल पीट रहे हो
और इस पर ख़ामोश हो कि
हत्यारों की संख्या बढ़ती जा रही है
और कई-कई रूपों में वे तुम्हारे घरों में घुस गए हैं
और तुम्हारे सामने ही उन्होंने तुम्हारे बेटों की मुश्कें बाँध दी हैं
मैं तुम्हें डरा या आतंकित नहीं कर रहा
वह काम अमरीका का है जिसके तुम इतने दीवाने हो
और वह खूबसूरती से तुम्हारी अस्मिता रौंद रहा है
और अब तो खुले आम तुम्हारी अमूल्य विरासत की धज्जियाँ उड़ा रहा है
चलो कोई रोमाण्टिक बात करें,
मैं तो सुबह वैसे ही घूमने जा रहा था कि खाली बोतलें वगैरह
बीनने वाली बच्चियाँ अँधेरे में जाते दिख गईं
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रचना दिनांक 24 अगस्त 2003
रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़।
हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित ।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इण्डियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड’ और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ।
अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124
कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी एक नजर अवश्य डालें।
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ReplyDeleteअद्भुत रचना! इस के विषय ने इस रचना को एक नया ही फॉर्म दे दिया है।
ReplyDeleteदिनेश जी से सहमत हूं। वाकई अद्भुत लिखा है चौहान जी ने।
ReplyDeleteबहुत सटीक लिखा है।
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