4/17/2009

बूढ़ा कवि

बूढ़ा कवि
जो लड़ता रहा ज़िन्दगी भर
भूख और कर्ज़ से
छाती में पूरी सदी का हाहाकार ले कर
बेचैन घूम रहा है बरामदे में
आहत जटायु की तरह

अपने खून और मज्जा में आन्दोलित
भीतर धधकती आग ले कर
उम्र भर वह शब्दों को फौलाद में ढालता रहा
वहाँ
जहाँ आदमी और उसकी नस्लों के वास्ते
रोटी और फूलों की मुहिम शुरू होती है
जहाँ जंग लड़ी जाती है
ग़ैरबराबरी के खात्मे की

उद्वेलित वह झकझोर देगा
आकाश को,
अपनी अस्फुट बुदबुदाहट से
वह देवों की
नींद हराम कर देगा

वह तुम्हारी रचनाधर्मिता को
पशुता के जबड़ों से निकालने के लिए
कोई तदबीर सोच रहा है

कवि लहूलुहान घूम रहा है
बरामदे में
-----


रचना दिनांक 16 जून 1992

रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़।
हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित ।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इण्डियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड’ और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ।
अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124


कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी एक नजर अवश्य डालें।

1 comment:

अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.