4/08/2009

श्रीमती पद्मा भाम्भ्रा कहती है

श्रीमती पद्मा भाम्भ्रा कहती है
अब मैं उस ईश्वर पर लिखूँ कविता
जिसने बनाई यह सृष्टि
आकाश, गगन, धरती, सब कुछ

पर मैं बीहड़ो का जोगी,
गायक बनफूलों का
और मेंहदी की उन नर्म नाजुक
टहनियों का
जिन्होंने बारिश की पहली बौछारों में
नहा कर
हरे बीजों के घुँघरू पहन लिए हैं

ऐसा नहीं कि मैंने ईश्वर को खोजा नहीं,
मैं तीर्थों में गया पवित्र से पवित्रतम
और महान से महानतम
मैंने वहाँ धनलोलुप निर्दयी पण्डों को देखा
और ईश्वर भी खूब था
उसने भी पण्डों को इजाजत दे रखी थी
कि वे चाहें जिस भाव से
उसको बेचें

मुझे ऐसे ईश्वर से ज़्यादा अच्छी लगी
वह लड़की
जो भाग रही है नीली स्कूटी पर
आस्मान को थहाने

वह चर्बी चढ़ा, मँहगी सफ़ारी में,
ताम्बूल से होंठ रचाए अधिकारी
क्या ईश्वर की अनुपम कृति है
जो इतनी सहजता से भ्रष्टाचार करता है
जैसे अपने पुश्तैनी घर के आँगन में बैठा
बाप-दादों की सम्पत्ति अपनी गाय का दूध
दुह रहा हो

मैं इन सबसे दूर भाग आया
आकाश में छाये इन्द्रधनुष के पास,
गाँव के काले नभ में
जलते असंख्य जुगनुओं की दुनिया में,

मुझे रठांजना गाँव का वह बूढ़ा किसान
अच्छा लगा
जो मुझे घर से भूखा नहीं जाने देगा
और जो मुझे चिट्ठी लिखने का आग्रह
ऐसे ही करता है
जैसा मुझे छोड़ने आया लगभग
मेरे ताँगे के पीछे दौड़ता
मेरा बूढ़ा बाप करता था
जब मैं दूर देस नौकरी करने गया था

गौरया की आवाज़ अधिक पानीदार हो गई है
बारिश के इन पहिले महीनों में
और काले बबूलों ने ओढ़ ली हैं नई पत्तियाँ

अभी मैं ईश्वर नहीं अपनी जवान हो गई बेटी
की शादी की चिन्ता में डूबा हुआ हूँ

पर श्रीमती भाम्भ्रा कहती है कि

मैं परमपिता परमेश्वर पर
लिखूँ कविता
जिसने रचा यह सब कुछ
सुख दुःख, मोह ममता
माया जाल
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रचना दिनांक 13.07.2000

रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़।
हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोेएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इण्डियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टाॅलेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड' और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ।
अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124


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