लोग जमा हो गए थे स्कूली बच्चों के साथ
टैगोर और इक़बाल के तरानों को
फिर गाने
और उस बूढ़ी टीचर के साथ
आदिम प्रार्थना के उन शब्दों को दोहराने
कि सागर और नदियों को बाँटने के बाद
अब हम नहीं बाँटें आदमियों को
कि जो धरती देती है हमें अन्न और जल
हमारा बड़ा से बड़ा बलिदान
नाकाफी है उस धरती के लिए,
अचानक आज़ादी का परचम लहरा उठा
चर्च की घण्टियाँ बजने लगी
बाँस के पेड़ों पर फुदकने लगे परिन्दे,
इन परिन्दों की हिफाज़त के वास्ते
फादर लल्ली ने प्रार्थनाएँ पढ़ीं
और बच्चों ने कविताएँ
मुझे लगा उस काले फटे कोट में
चौराहे पर टहलता वह आदमी जीज़स है
जो गा रहा था पाल राब्सन का
गीत बच्चों के साथ
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रचना दिनांक 26 जनवरी 1991
रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़। हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इंडियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड' और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर।
‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ। अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124
कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी एक नजर अवश्य डालें।
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबिलकुल सही लिखा !!
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