4/25/2009

हालात बदलिये

पहले दिल की बात बदलिये,
फिर सारे हालात बदलिये ।

दिन जब दिन सा हो जाए तो,
सारी-सारी रात बदलिये ।

उनके पैर सने दिखते हैं,
खुद की तो औक़ात बदलिये ?

ग़म में भी खुशियाँ ही बिखरे,
अ़श्क़ों की बारात बदलिये ।

दम है खुद में तो, डर कैसा?
ये भीख, ख़ैरात बदलिये ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल



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2 comments:

  1. बदल रहे हैं लोग भी बदल रहा संसार।
    बदलेंगे हालात भी बदले अगर विचार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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