4/03/2009

ताज

ताज
तुम एक इमारत नहीं
एक निशानी हो
प्यार की बुनियाद की
तुम सजे हो संगेमरमर से
लेकिन नहीं हो संग दिल
तभी तो आज जुटे हैं
प्यार के दीवाने
तुम्हारे अस्तित्व को बचाने
और कर रहे हैं/प्रयास पर प्रयास
कि तुम दुनिया की अमिट धरोहर बन
भारत का नाम करो रोशन
विश्व पटल पर
और विश्व को दो सन्देश
कि आपसी प्रेम और सद्भाव ही
मानवता का मूल है
आज तुम भी निगाहों में हो
उन दरिन्दों की
जो नहीं चाहते
देश में सुख शान्ति
जिनका उद्देश्य ही
विश्व में आतंक फैलाकर
मानव - मानव के बीच
द्वेष पैदा करना है
क्योंकि नहीं सुहाते
उन्हें आकाश में उड़ते/शान्ति कपोत
वे मिटा देना चाहते है
इन शान्ति दूतों के साथ
लोगों के दिलों की खुशियाँ
प्रेम का प्रतीक बने ताज
तुम्हारी जरुरत है आज
क्योंकि आतंकवाद, भ्रष्टाचार
और दंगाफसाद के बढ़ते दौर में
तुम्हीं दे सकते हो सम्बल
देशवासियों को
तुम सदैव खड़े रहो
मानव प्रेम की मिसाल बन
और देते रहो सन्देश
आपसी प्रेम और सद्भाव का ।
-----

संजय परसाई की एक कविता

यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001


कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी नजर डाले।

5 comments:

  1. बेहतरीन रचना!!

    ReplyDelete
  2. भाई यहाँ कविता, कविता न रह गई एक पोस्टर हो गई।

    ReplyDelete
  3. उन्हें आकाश में उड़ते/शान्ति कपोत
    वे मिटा देना चाहते है
    इन शान्ति दूतों के साथ
    लोगों के दिलों की खुशियाँ
    प्रेम का प्रतीक बने ताज
    bahut hi sunder rachana

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर रचना ...

    ReplyDelete
  5. तुम एक इमारत नहीं
    एक निशानी हो
    सुंदर रचना..

    ReplyDelete

अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.