तुम एक इमारत नहीं
एक निशानी हो
प्यार की बुनियाद की
तुम सजे हो संगेमरमर से
लेकिन नहीं हो संग दिल
तभी तो आज जुटे हैं
प्यार के दीवाने
तुम्हारे अस्तित्व को बचाने
और कर रहे हैं/प्रयास पर प्रयास
कि तुम दुनिया की अमिट धरोहर बन
भारत का नाम करो रोशन
विश्व पटल पर
और विश्व को दो सन्देश
कि आपसी प्रेम और सद्भाव ही
मानवता का मूल है
आज तुम भी निगाहों में हो
उन दरिन्दों की
जो नहीं चाहते
देश में सुख शान्ति
जिनका उद्देश्य ही
विश्व में आतंक फैलाकर
मानव - मानव के बीच
द्वेष पैदा करना है
क्योंकि नहीं सुहाते
उन्हें आकाश में उड़ते/शान्ति कपोत
वे मिटा देना चाहते है
इन शान्ति दूतों के साथ
लोगों के दिलों की खुशियाँ
प्रेम का प्रतीक बने ताज
तुम्हारी जरुरत है आज
क्योंकि आतंकवाद, भ्रष्टाचार
और दंगाफसाद के बढ़ते दौर में
तुम्हीं दे सकते हो सम्बल
देशवासियों को
तुम सदैव खड़े रहो
मानव प्रेम की मिसाल बन
और देते रहो सन्देश
आपसी प्रेम और सद्भाव का ।
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संजय परसाई की एक कविता
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बेहतरीन रचना!!
ReplyDeleteभाई यहाँ कविता, कविता न रह गई एक पोस्टर हो गई।
ReplyDeleteउन्हें आकाश में उड़ते/शान्ति कपोत
ReplyDeleteवे मिटा देना चाहते है
इन शान्ति दूतों के साथ
लोगों के दिलों की खुशियाँ
प्रेम का प्रतीक बने ताज
bahut hi sunder rachana
बहुत ही सुंदर रचना ...
ReplyDeleteतुम एक इमारत नहीं
ReplyDeleteएक निशानी हो
सुंदर रचना..