4/10/2009

दौरे-मुसीबत गुजर जाएगा

दुनिया में हर कहीं है ज़रुरत सुकून की,
करनी पड़ेगी आज इबादत सुकून की।

चैनो-अमन का पाठ ही पढ़ते रहो सदा,

लिखते रहो दिन-रात इबारत सुकून की ।

हर कदम बढ़ाने से पहले ही सोच लो,
चलने से पहले ले लो इजाज़त सुकून की ।

मेल और मिलाप की मिट्टी को जोड़कर
खड़ी करो मजबूत इमारत सुकून की ।

यह दौरे-मुसीबत गुज़र जाएगा यूँ ही
होगी कभी तो हम पे इनायत सुकून की ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल



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2 comments:

  1. सुकून की इनायत का इंतज़ार हम भी कर रहे हैं,बहुत बढिया लिखा आपने।

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  2. बहुत बढ़िया व सही लिखा है।
    घुघूती बासूती

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