4/02/2009

सरलमना सच

स्त्री ने अपनी उर्वरता दी पृथ्वी को
और पृथ्वी की उर्वरता फूटी स्त्री की कोख से
कुमुदनी बन कर, कृषि-जीवन से जुड़े मिथकों और
जनश्रुतियों ने कहा

अँखुआती धरती और शिशु-मुख में पयोधर देती माँ
दोनों एकाकार हो गये इतिहास की पुस्तकों के जन्म से
बहुत पहले,
वात्सल्य की दुग्ध-धारायें बही जब शब्दों के बीज भी
नहीं पड़े थे किसी भाषा के अदृश्य अंक में

धनधान्य से भर गई धरा और पृथ्वी का आँगन
सोहर-गीतों से

कल्पनातीत है यह कि सृजन की यह पवित्रता और औदार्य,
गीत धानों के और बच्चों के
विच्छिन्न और कलुषित कर दिये जाएँ,
कि कोई न्याय संगत ठहराने लगे माँ पृथ्वी के क्रन्दन को,
वक्षोजों और भ्रूणों के उच्छेदन को वैध घोषित करता हुआ
अपनी पशुता को हिंसा का अघ्र्य चढ़ाने लगे,
घृणा की दुदुम्भि बजाता दसों दिशाओं की विजय के लिये
निकल पड़े

सबसे प्यारी होती है अपनी मिट्टी और ज़मीन की गन्ध
वहाँ की हवा में बडे़ होते हैं मीठी अनुभूतियों और स्मृति के बिरवे,
यह कम मनुष्य विरोधी नहीं है कि वहाँ से उखाड़ फेंकने
कोई रचे दुरभिसन्धियाँ और दुष्चक्र

निरावरण नहाती है पृथ्वी और औरत बवण्डभरी बारिशों में
और रत्न प्रसवा हो जाती हैं, प्राचीन विश्वासों और आस्थाओं ने
कहा
सरलमना सच का अंग भंग करते, कौन है ये संस्कृति के विद्रूप पहरूए,
मनुष्यता के दिग्भ्रमित व्याख्याकार

यह कैसा इतिहास-प्रसंग है
जबकि हिंसा को प्रेम से और विसृजन को सृजन से
पराभूत करती अगणित गाथायें बिखरी पड़ी हैं हमारे आसपास,
चौके-चूल्हे में
नई निम्बोलियों की प्रतीक्षा करते इस नीम में और यौवन के ताप में तपी
इस रमणी में,
जिसकी फलों से गोद भरी जा रही है।
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रचना दिनांक 25 जून 2004


रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।

अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।



प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।

(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़।

हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित ।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इंडियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड' और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ।
अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124


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1 comment:

  1. इतिहास को इस तरह काव्य में ढाल देना बहुत ही अच्छा लगा।

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