2/16/2009

दुनिया को जोड़िए



दिल में नफ़रत हाथों में हथियार से नहीं,
मसले भी हल होंगे पर तक़रार से नहीं ।

राहे-मुहब्बत में इकरार करना सीखिये,
बनता दिल का आशियाँ इनकार से नहीं ।

सोची-समझी बात अक्सर देती साथ है,
पाना हो मंजिलों को तो ऱफ्तार से नहीं ।

बेशक मज़ाक कीजिए अपनों से आप लोग,
लेकिन् ये खेल अब किसी लाचार से नहीं ।

दुनिया को बदलना हो तो दुनिया को जोड़िये,
ये काम तो होगा मग़र दो-चार से नहीं ।
-----

आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल

यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001

कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी नजर डाले।

3 comments:

  1. अच्छी और प्रेरक गजल है, आभार।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर ओर शिक्षा प्रद रचना , धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. दिल में नफ़रत हाथों में हथियार से नहीं,
    मसले भी हल होंगे पर तक़रार से नहीं

    वाह्! अति उत्तम विचार.....आभार.

    ReplyDelete

अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.