2/05/2009

नए बहाने


राजा- रानी हुए पुराने,
कैसी कथा चले सुनाने ।

बम की चाहत सिर्फ तुम्हें हैं,
रोटी के हैं सभी दीवाने ।

बाज़ारों में मिलता सब-कुछ
नहीं हक़ीक़त सभी फ़साने ।

सच्चों की आवाज़ गुम हुई,
झूठों के हर कहीं तराने ।

किसकी बातें मानें आखिर
हर मुँह पर हैं नए बहाने ।
-----


आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल

यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्‍‍‍य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्‍‍‍य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी नजर डाले।

9 comments:

  1. sachon ki aavaaj gum huyee jhuthhon ke har kaheen fsaane kya khoob kaha hai bahut badiy bdhai

    ReplyDelete
  2. सुंदर्।झूटी नही सच्ची तारीफ़ कर रहा हूं बैरागी जी।

    ReplyDelete
  3. roti ke to sabhi deevane..........bhut sundar

    ReplyDelete
  4. बम की चाहत सिर्फ तुम्हें हैं,
    रोटी के हैं सभी दीवाने ।
    बहुत ही सुंदर, यही तो अहि आज का सच.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. लेखन के शानदार शैली है आपने । आपका यह लेख काफी पसंद है । धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. baragi ji namaskar,

    kaphi dino se iccha thai ki tippani karon, man ke bhawa wyakt karou, par jaisa apko malum hai alag link nahi khulane ke karan tippani kar nai saka.

    ab link khuli hai to yaha tippani.

    aur han, ashish dashoottarji ki va sanjaya parasai ji ki kavita Danik prasaran men Prakashit karane ja raha hoon. suchanartha.

    ReplyDelete
  7. Mitra Dhan ka sadupyog karne ke liye koti koti badhai.... Mithilesh Pavecha

    ReplyDelete
  8. आशीष की कलम और अभिव्यक्ति सशक्त है. सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण/निदान पर लिखें तो बहुत लोगों को उनकी रचना स्पर्श कर जायगी.

    सस्नेह -- शास्त्री

    ReplyDelete

अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.