राजा- रानी हुए पुराने,
कैसी कथा चले सुनाने ।
बम की चाहत सिर्फ तुम्हें हैं,
रोटी के हैं सभी दीवाने ।
बाज़ारों में मिलता सब-कुछ
नहीं हक़ीक़त सभी फ़साने ।
सच्चों की आवाज़ गुम हुई,
झूठों के हर कहीं तराने ।
किसकी बातें मानें आखिर
हर मुँह पर हैं नए बहाने ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल
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sachon ki aavaaj gum huyee jhuthhon ke har kaheen fsaane kya khoob kaha hai bahut badiy bdhai
ReplyDeleteवाह! सुन्दर कटाक्ष..।
ReplyDeleteसुंदर्।झूटी नही सच्ची तारीफ़ कर रहा हूं बैरागी जी।
ReplyDeleteroti ke to sabhi deevane..........bhut sundar
ReplyDeleteबम की चाहत सिर्फ तुम्हें हैं,
ReplyDeleteरोटी के हैं सभी दीवाने ।
बहुत ही सुंदर, यही तो अहि आज का सच.
धन्यवाद
लेखन के शानदार शैली है आपने । आपका यह लेख काफी पसंद है । धन्यवाद
ReplyDeletebaragi ji namaskar,
ReplyDeletekaphi dino se iccha thai ki tippani karon, man ke bhawa wyakt karou, par jaisa apko malum hai alag link nahi khulane ke karan tippani kar nai saka.
ab link khuli hai to yaha tippani.
aur han, ashish dashoottarji ki va sanjaya parasai ji ki kavita Danik prasaran men Prakashit karane ja raha hoon. suchanartha.
Mitra Dhan ka sadupyog karne ke liye koti koti badhai.... Mithilesh Pavecha
ReplyDeleteआशीष की कलम और अभिव्यक्ति सशक्त है. सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण/निदान पर लिखें तो बहुत लोगों को उनकी रचना स्पर्श कर जायगी.
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री