2/03/2009

गोचर है जिनकी अस्थियों का भूगोल

पृथ्वी पर उनका भार क्या होगा
गोचर है जिनकी अस्थियों का भूगोल

कपास की उतरन की भी उतरन से
काम चला लेते हैं - वे
बासी जूठन जिनके क्षुदित उदर का
महाभोग है उन्होंने कहां गड़बड़ाया
रसना प्रेमियों का गणित?

निरोगी हैं - वे इस अर्थ में कि
आयुर्वेद से अब तक बनी ही नहीं
उनके लिए कोई औषधि
फिर कैसे हैं - वे जीवन-रक्षक
दवाओं की बढ़ती कीमतों के अपराधी?

ऋषियों तक ने नहीं दी जिन्हें-विद्या
वे कैसे बिगाड़ सकते हैं
शिक्षा के मानक समीकरण?
सुई की नोक भर ज़मीन से वंचित
देश की सबसे बड़ी आबादी
रिहायशी हलकों का सिरदर्द
हों भी तो कैसे?

भले वे पात्र न हों सभ्य मुखौटे के बीच
शोभित होने वाले

अपनी भूमिका का
स्वंय उन्होंने किया है वरण
इतिहास की धाराएँ उन्होंने ही मोड़ी हैं
हर काल हर युग में वे ही बने हैं निमित्त
भू-मां की भार मुक्ति के ।
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प्रगतिशील कवि जनेश्वर
के ‘सतत् आदान के बिना शाश्वत प्रदाता के शिल्प में’
शीर्षक से शीघ्र प्रकाश्‍‍य काव्य संग्रह की एक कविता।

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2 comments:

  1. कपास की उतरन की भी उतरन से
    काम चला लेते हैं - वे
    बासी जूठन जिनके क्षुदित उदर का
    महाभोग है उन्होंने कहां गड़बड़ाया
    रसना प्रेमियों का गणित?
    बहुत सुंदर रचना, बहुत ही भावुक.
    धन्यवाद

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