2/07/2009

सोचो



क्या तुमने महसूस की
अपनों की पीड़ा ?
तुम देख सकते हो
अपनों की मौत ?
यदि नहीं
तो क्यों करते हो वार
अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी से?
क्या तुमने सोचा है
जब नहीं रहेंगे पेड़
तो तुम भी बच पाओगे?
सोचो.....खूब.....सोचो
पेड़ों के बारे में न सही
अपने बारे में ।
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संजय परसाई की एक कविता

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5 comments:

  1. ye apno ki maut bahut peeda deti hai magar phir bhi sab ko sahan karni padti hai bahut marmik rachna hai

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  2. बहुत अच्छी,दिल को छूती रचना बहुत कुछ कहती हुई .

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  3. इस विषय मे सबको सोचना चाहिये।

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  4. सुंदर शव्दो मे आप ने बहुत काम की बात कह दी .
    धन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये

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  5. प्यार नही इन्सानों से जब,
    पेड़ों को क्या प्यार करेंगे।
    हत्या करना छोड़ अगर दें,
    छिप-छिप कर ये वार करेंगे।।

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