शब्द
हाँ शब्द ही तो हैं
जो मुझे
मैं और तुम का
अर्थ बताते हैं
जब
तुम नहीं थी
तो मैं
शब्द की शक्ति से
परिचित नहीं था ।
लेकिन
तुम जैसे ही
मेरे करीब आई
मुझे शब्द शक्ति का
अहसास होने लगा
मैं समझ गया कि
तुम्हारे आते ही
मैं, मैं नहीं रहा/आप हो गया
और आप, तुम ।
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सद्भाव
फिर कर रहे हैं
प़ड़ौसी पर विश्वास
बढ़ते आतंकवाद को
नजरअन्दाज कर
इस आस में
कि होगा
साम्प्रदायिक सद्भाव कायम
लेकिन/यह समय
विश्वास/अविश्वास का नहीं
कदम फूँक--फूँक कर
रखने का है ।
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संजय परसाई की दो कविताएँ
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विचार पूर्ण कविताएँ?
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन कविताएं हैं।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteWaah ! Sundar kavitayen.
ReplyDeleteफिर कर रहे हैं
ReplyDeleteप़ड़ौसी पर विश्वास
बढ़ते आतंकवाद ....
बहुत सुंदर लिखा है.....धन्यवाद