12/24/2008

प्‍यार


।। प्यार ।।


क्यूँ नहीं समझ पाते हम

बात इतनी सी

हर क्रिया के विपरीत होती है,

प्रतिक्रिया ।

पतझड़ में पत्तों का

शाख को छोड़ना

एक क्रिया है

इसकी प्रतिक्रिया में

पेड़ होगा फिर सदाबहार ।

पत्तों का निकलना

सूख कर गिरना

फिर, कोंपलों का फूटना

महज संयोग नहीं

सहज सन्देश है,

प्यार साथ-साथ मरना नहीं

जीने का नाम है ।

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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता


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कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ भी पढें ।

1 comment:

  1. बहुत सुंदर दी आप ने प्यार की परिभाषा.
    धन्यवाद

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