।। यादें ।।
नए शहर के अनजान माहौल में
हमें याद नहीं करना पड़ता,
बरबस ताजा हो उठता है
अपना गाँव, कोई मित्र ।
खाना खाते-खाते
माँ याद हो आती है
जैसे गाड़ी बिगड़ने पर
याद आ जाता है पुराना मिस्त्री ।
उदास होने पर
साहस दे जाती हैं वे बातें,
जो कही थीं सबने, बरसों पहले
घर से निकलते वक्त ।
जीवन में जब भी
मिलती है खुशी
पुराने साथी ही याद आते हैं
पहले-पहल ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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बहुत सही लिखा
ReplyDeleteधन्यवाद