।। सवाल-2 ।।
हैं कुछ ऐसे लोग जिन्हें मिलता है सुकून
आहत कर सम्वेदनाओं को ।
जो करते हैं लहूलुहान
कोमली भावनाओं को
हाँ, हैं कुछ ऐसे भी जो होते हैं आह्लादित
औरों को कर हताहत ।
क्या तुम भी उन्हीं में से
या अलग ?
क्या तुम बोलोगे तब
जब बढ़ रहे होंगे उनके हाथ
तुम्हारी ओर
या तब भी रहोगे
निष्क्रिय-निरापद
जैसे अभी हो
जब लगी है तुम्हारे
पड़ोस में आग ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
मैं पंकज के प्रति मोहग्रस्त हूँ, निरपेक्ष बिलकुल नहीं । आपसे करबध्द निवेदन है कि कृपया पंकज की कविताओं पर अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।
कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com/ भी पढें ।
बहुत सुंदर ओर भावुक सवाल किया है आप ने इस कविता के माध्यम से.
ReplyDeleteधन्यवाद