।। सवाल-1 ।।
तुम चलना चाहते हो समय के साथ ?
तोड़ना होगा ईमान का घेरा
मारना होगा जमीर
करना होगा कत्ल विश्वास
धर कर रूप नया, बदल कर चेहरा
सारे सिद्धान्त भूल कर ही
तुम चल सकते हो समय के साथ
क्या तुम कर पाओगे ऐसा ?
जरूरी हो गया है
अब बेलिहाज होना
वरना लोगों के साथ होकर भी
अकेले रह जाओगे
तरक्की की अन्धी दौड़ में
पीछे छूट जाओगे ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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