12/20/2008

मजदूरी



।। मजदूरी ।।



किसी की ऐशगाह का आकार


उनके सपनों, सुखों


और पेट के


फैलने सिकुड़ने का पैमाना है ।


अट्टालिका की ऊँचाई


और सीमेण्ट का वजन


ही तय करेगा


कि उनके चौके से


कितने दिन उठेगा धुआँ ।


पसन्द न आने पर


ढहा दिया जाएगा


कड़ी मेहनत से बनाया ढाँचा


फिर शुरु होगी नए निर्माण की कवायद ।


आपकी नजरों में भले ही यह रईसी है


पर उन्हें मिलता है काम


इसलिए जरूरी है,


सेठ का यूँ सिरफिरा होना ।


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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता


यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्‍य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्‍य भेजें । मेरा पता है - विष्‍णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001


कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी पढें ।

3 comments:

  1. अच्छा लगा. हमें बहुत पुरानी बात याद आ गयी. एक भवन का निर्माण चल रहा था. कार्य स्थल पर ही एक सूचना पटल भी था. लिखा था "Constructed for Distruction"

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  2. बहुत सुन्दर रचना है।बिल्कुल सही कहा-

    आपकी नजरों में भले ही यह रईसी है
    पर उन्हें मिलता है काम
    इसलिए जरूरी है,
    सेठ का यूँ सिरफिरा होना ।

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