।। मजदूरी ।।
किसी की ऐशगाह का आकार
उनके सपनों, सुखों
और पेट के
फैलने सिकुड़ने का पैमाना है ।
अट्टालिका की ऊँचाई
और सीमेण्ट का वजन
ही तय करेगा
कि उनके चौके से
कितने दिन उठेगा धुआँ ।
पसन्द न आने पर
ढहा दिया जाएगा
कड़ी मेहनत से बनाया ढाँचा
फिर शुरु होगी नए निर्माण की कवायद ।
आपकी नजरों में भले ही यह रईसी है
पर उन्हें मिलता है काम
इसलिए जरूरी है,
सेठ का यूँ सिरफिरा होना ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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अच्छा लगा. हमें बहुत पुरानी बात याद आ गयी. एक भवन का निर्माण चल रहा था. कार्य स्थल पर ही एक सूचना पटल भी था. लिखा था "Constructed for Distruction"
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है।बिल्कुल सही कहा-
ReplyDeleteआपकी नजरों में भले ही यह रईसी है
पर उन्हें मिलता है काम
इसलिए जरूरी है,
सेठ का यूँ सिरफिरा होना ।
बहुत सुंदर....
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