।। प्यार ।।
क्यूँ नहीं समझ पाते हम
बात इतनी सी
हर क्रिया के विपरीत होती है,
प्रतिक्रिया ।
पतझड़ में पत्तों का
शाख को छोड़ना
एक क्रिया है
इसकी प्रतिक्रिया में
पेड़ होगा फिर सदाबहार ।
पत्तों का निकलना
सूख कर गिरना
फिर, कोंपलों का फूटना
महज संयोग नहीं
सहज सन्देश है,
प्यार साथ-साथ मरना नहीं
जीने का नाम है ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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बहुत सुंदर दी आप ने प्यार की परिभाषा.
ReplyDeleteधन्यवाद