।। घाव ।।
किसने कहा कि
विस्फोट के लिए
चाहिए बारूद,
घर जलाने के लिए
चाहिए तीलियां ।
घर हो या सपने
पल में ध्वस्त होते हैं ।
क्षण में छिनता है आशियाना
बिना पेट्रोल धधकता है शहर ।
कविता जो मरहम है
आपके मुंह से निकलने
पर वही शब्द दे जाते हैं घाव ।
नेताजी, आग से उगलते
शब्दों से लाख दर्जा अच्छे
हैं आपके झूठे आश्वासन ।
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'सपनों के आसपास' शीर्षक कसव्य संग्रह से पंकज शुक्ला 'परिमल' की एक कविता
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अच्छी रचना प्रेषित की ।
ReplyDeleteबिलकुल सच लिख दिया आप ने हम सब के दिल का दर्द इस कविता के रुप मै.
ReplyDeleteधन्यवाद