।। हसरत ।।
मैं अपनी लाड़ली को
देना चाहता हूँ
सपनों का आकाश,
सितारों भरी रात,
लहलहाती धरती,
हरहराती नदियाँ,
चहचहाते पक्षी,
मुस्काते फूल,
और ढेर सारा प्यार
इतना कि वह सब
समेटती रहे
और थक कर सो जाए
ख्वाब चुनते हुए ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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बहुत सुंदर ख्वाब है
ReplyDeleteधन्यवाद