।। साहस ।।
समस्याएँ अच्छी लगती हैं मुझे ।
मुश्किलें रूबरू करवाती हैं मुझे
मेरे साहस, मेरे धैर्य से ।
वे आकर बढ़ा जाती हैं भरोसा
कि समस्याओं से भागा नहीं,
लड़ा जाता है ।
मैं लड़ता हूँ, जीतने के लिए ।
क्या हुआ जो कभी भारी
पड़ी कोई समस्या
मैं मापता हूँ
गहराई विश्वास की
अपना पथ-अपना धैर्य ।
अच्छा लगता है मुझे
जूझना समस्याओं से ।
इनसे जीत कर मिलता है, साहस
और हार कर भी ।
समस्याएँ अच्छी लगती हैं मुझे ।
मुश्किलें रूबरू करवाती हैं मुझे
मेरे साहस, मेरे धैर्य से ।
वे आकर बढ़ा जाती हैं भरोसा
कि समस्याओं से भागा नहीं,
लड़ा जाता है ।
मैं लड़ता हूँ, जीतने के लिए ।
क्या हुआ जो कभी भारी
पड़ी कोई समस्या
मैं मापता हूँ
गहराई विश्वास की
अपना पथ-अपना धैर्य ।
अच्छा लगता है मुझे
जूझना समस्याओं से ।
इनसे जीत कर मिलता है, साहस
और हार कर भी ।
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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी पढें ।
‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
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कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com भी पढें ।
मैं मापता हूँ
ReplyDeleteगहराई विश्वास की
अपना पथ-अपना धैर्य ।
अच्छा लगता है मुझे
जूझना समस्याओं से ।
इनसे जीत कर मिलता है, साहस
और हार कर भी ।
बहुत अच्छी बात लिखी आप ने धन्यवाद