12/25/2008

साहस


।। साहस ।।

समस्याएँ अच्छी लगती हैं मुझे ।
मुश्किलें रूबरू करवाती हैं मुझे
मेरे साहस, मेरे धैर्य से ।
वे आकर बढ़ा जाती हैं भरोसा
कि समस्याओं से भागा नहीं,
लड़ा जाता है ।
मैं लड़ता हूँ, जीतने के लिए ।
क्या हुआ जो कभी भारी
पड़ी कोई समस्या
मैं मापता हूँ
गहराई विश्‍वास की
अपना पथ-अपना धैर्य ।
अच्छा लगता है मुझे
जूझना समस्याओं से ।
इनसे जीत कर मिलता है, साहस
और हार कर भी ।

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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता


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1 comment:

  1. मैं मापता हूँ
    गहराई विश्‍वास की
    अपना पथ-अपना धैर्य ।
    अच्छा लगता है मुझे
    जूझना समस्याओं से ।
    इनसे जीत कर मिलता है, साहस
    और हार कर भी ।
    बहुत अच्छी बात लिखी आप ने धन्यवाद

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