12/22/2008

यादें


।। यादें ।।

नए शहर के अनजान माहौल में

हमें याद नहीं करना पड़ता,

बरबस ताजा हो उठता है

अपना गाँव, कोई मित्र ।

खाना खाते-खाते

माँ याद हो आती है

जैसे गाड़ी बिगड़ने पर

याद आ जाता है पुराना मिस्त्री ।

उदास होने पर

साहस दे जाती हैं वे बातें,

जो कही थीं सबने, बरसों पहले

घर से निकलते वक्त ।

जीवन में जब भी

मिलती है खुशी

पुराने साथी ही याद आते हैं

पहले-पहल ।

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‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता

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