।। चिट्ठी ।।
कब आती हैं ज्यादा चिट्ठियां
सुख में, दुख में
बसन्त या पतझड़ में ?
किसे रहता है चिट्ठी का
सबसे ज्यादा इन्तजार
शहर गए बेटे को,
घर में रह गए माँ-बाप को
प्रेमी को, विरहणी नायिका को
या नौकरी तलाशते युवा को ?
कब लिखी जाती हैं
सबसे ज्यादा चिट्ठियाँ
बचपन में, जवानी में
बुढ़ापे में ?
कब मिलता है
सबसे ज्यादा सुख
चिट्ठी लिखने में या चिट्ठी पाने में ?
पूरी पीढ़ी इस बात से अनजान है
लाख टके के सवाल पर हैरान है ।
-------
‘सपनों के आसपास’ शीर्षक काव्य संग्रह से पंकज शुक्ला ‘परिमल’ की एक कविता
मैं पंकज के प्रति मोहग्रस्त हूँ, निरपेक्ष बिलकुल नहीं । आपसे करबध्द निवेदन है कि कृपया पंकज की कविताओं पर अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
कृपया मेरा ब्लाग ‘एकोऽहम्’ भी पढें ।
No comments:
Post a Comment
अपनी अमूल्य टिप्पणी से रचनाकार की पीठ थपथपाइए.