।। सन्देश ।।
भेजे थे ख्वाब तुम
तकमिले या नहीं ?
देखो, एक तो सिरहाने होगा
बिस्तर की सिलवटों में
पड़े होंगे दो-चार ।
वक्त मिले तो देखना
एक ख्वाब जेहन में
छुपा होगा कहीं ।
यादों के कुछ खत भेजे
रख कर भूल गए क्या ?
उलझी जिन्दगी में गुत्था
होंगे कुछ तो
या मिल ही जाएँ
किताबों में सूखे फूलों की तरह
सुना है, खूब बरसी है मेह
तुम्हारे आँगन में,
‘देना याद हमारी’ कह भेजा था
कजरारे मेघों को,
तुम तक पहुँचे क्या ?
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"मेघ संदेश" के सदृश. आभार.
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ब्लॉग पर आने का आपका धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ! शुभकामनाएं !
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