बहुत समानता है
घ़ड़ी भी चलती है
मनुष्य भी
घड़ी की तीन सुइयों के समान
बचपन, जवानी और बुढ़ापा है
सेकण्ड की सुई
साँसों के समान
अनवरत चलती है
टिक-टिक की आवाज
दिल की धड़कन सी लगती है
संयोग है कि
घ़ड़ी को मनुष्य चलाता है
लेकिन
सत्यता इसके विपरीत है
घड़ी ही मनुष्य को चलाती है
एक समय आता है
चलते-चलते घड़ी रुक जाती है
और
मनुष्य भी... ।
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संजय परसाई की एक कविता
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर-19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001
कृपया मेरे ब्लाग ‘एकोऽहम्’ http://akoham.blogspot.com पर भी नजर डालें।
रचना और आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteकाफी समय से आपके ब्लॉग पर कोई हलचल नहीं हुई. शायद व्यस्त रहे हों. आशा करता हूँ कि सब कुछ ठीक-ठाक है,
ReplyDeleteआपकी कविता यथार्थ के बिलकुल करीब है |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता. बधाई.
ReplyDeleteअच्छी रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई.
ReplyDelete________________________
'शब्द-शिखर' पर ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!
Beautiful correlation !
ReplyDeleteतुलना अच्छी लगी।
ReplyDeleteइस देशा में हमने सोचा नहीं था।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
सुन्दर सादृश्य-विधान...उपमाएँ!
ReplyDeleteघड़ी में से भी संजय बाबू ने कविता निकाल ली...यही तो कवि की अपनी अनूठी दृष्टि होती है!
यथार्थ को प्रतिबिम्बित करती एक शानदार रचना।
ReplyDelete---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| हार्दिक बधाई|
ReplyDeletehappy holi, happy holi
ReplyDeleteहोली है
होली की हार्दिक शुभकामनायें
manish jaiswal
Bilaspur
chhattisgarh
mujhe bhi rachna aur blog dono achchhe lage, follow karna pada..:)
ReplyDeletebarabar aaunga...
Very Nice
ReplyDelete-----
Kalmadi visits Antique shop (owned by Ronie, the naughty fellow).
Kalmadi : I’m looking for something “unique” to be kept in my Drawing………. make others envious…..U know..... (winks).
Ronie : Ok, Ok Sir, I got it……(assures and goes to Store Room; after a while, returns with “something” beautifully wrapped in a gift pack).
Ronie : This is the only piece left…………SPECIALLY FOR YOU.
Kalmadi wanted to see it before parting Rs.50,000/- but Ronie won’t allow fearing leakage of its secrecy/uniqueness……instructs Kalmadi not to open it before reaching home. Finally Kalmadi makes payment and comes home wondering about the content. At home, he opens the pack.
Kalmadi : What nonsense…….."old dusty leather sleeper and that too a single piece” ?
(Immediately makes a Call to Ronie who asks him to read the letter attached with it)
Letter goes this way :-
“This is a unique sleeper which was hurled at former corrupt CWG Official Kalmadi in the Court complex in New Delhi."
HA HA HA ! ! !
सुन्दर कविता
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुन्दर और सार्थक तुलना !
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना...बधाई....
ReplyDeleteगौ माता के लिए कुछ करने की दृष्टि से एक मंच का निर्माण हुआ
आप भी सादर आमंत्रित है.....पधारियेगा....
गौ वंश रक्षा मंच
gauvanshrakshamanch.blogspot.com
घड़ी की तीन सुइयों के समान
ReplyDeleteबचपन, जवानी और बुढ़ापा हैघड़ी की तीन सुइयों के समान
बचपन, जवानी और बुढ़ापा है
बहुत सुंदर तुलना की है परसाई जी ने ....