5/14/2009

सब सयाने हो गए

आदमी हैरान है,
लाचार परेशान है ।

भीड़ है चारों तरफ,
जाने कहां इंसान है ।

काशी -काबा हो आए,
देखा नहीं भगवान है ।

ज़िन्दगी के सफ़र में,
व़क्त का तूफान है ।

सब सयाने हो गए,
‘आशीष’ अभी नादान है ।
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आशीष दशोत्तर ‘अंकुर’ की एक गजल

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2 comments:

  1. सब सयाने हो गए,
    ‘आशीष’ अभी नादान है ।

    -बहुत सही..इनका एक ब्लॉग काहे नहीं खुलवा देते..या इसी ब्लॉग का नाम इनके नाम पर कर दिजिये..तो भी चल जायेगा..कोई और आया तो गेस्ट लेखक!!

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  2. ACHHI KAHAN HAI ISME... BADHAAYEE


    ARSH

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