5/01/2009

मई दिवस के वीरों के नाम

जब कि पलाश के अनुराग में नहाए पहाड़
पके करोंदों की ख़ुशबू से भरे गए हैं
जब कि मतवाले कोकिल ने
अमराइयों को मथ दिया है

जबकि अपना सुर्ख दिल ले कर
हरियाली के झुरमुटों से
झाँक रहे हैं गुलमोहर

मई दिवस के शहीदों!
मैं तुम्हें भेजता हूँ सलाम
इस वास्ते के साथ
कि तुम्हारी छाती से फूटे
खून के फव्वारों में नहाया
वह सुर्ख़ परचम
अपनी पूरी शिद्दत के साथ
फड़फड़ा रहा है हमारी धमनियों में
लहू की रफ्तार के साथ
और तार तार होने के बावजूद
हमारीं उम्मीदें गूँज रही हैं
हाँ, बावजूद इसके कि आस्मानों के रंग
और ज़्यादा स्याह हो गए हैं

शिकागो के वीरों! निष्पाप लोगों!!
तुम लड़े कि धमनभट्टियों में सुलगते
कारख़ानों के पहियों में मशीन बन गए
ज़िन्दा आदमी को हासिल हो उसके पूरे हुक़ूक
और लम्हात
कि वह दानिशमन्दों के लिखे
रोशनी के हरूफ़ बाँच सके,
गिटार बजा सके
घर की मुँडेर पर बैठ कर चांदनी
रात में
जंगल में उलझे बड़े से चाँद को देख सके
आँख भर कर और छेड़ सके
नभ के मान सरोवर में तारों के मोती चुगते
बादल-हंसों को

ठहाके लगाए बच्चों के साथ
और अंगीठी की आँच में दमकते
अपनी नाज़नीन के चेहरे का दीदार करे

शिकागो के वीरों
सचमुच बहुत कडुवे दिन हैं ये
हम हिन्दुस्तानियों के

बुझे हुए हैं मन के देवालय
वीरान पड़ी हुई हैं अन्तर्मन से उठी प्रार्थनाएँ
और कुछ इस क़दर टूट गए हैं धागे
कि जुड़ तो गए हैं पर गाँठ पड़ गयी है

और फिरंगी हैं कि फिर आ पहुंचे हैं

लोकगीतों से कहीं खो नही जाए
सदा के लिए हमारी
तुलसी का बिरवा और नीम का पेड़

पर यह भी उतना ही सच है कि
चटख चटख कर टूट रहे हैं
इतिहास के काले अंधेरे
और गूंज रहे हैं आस्मानों में मुक्तिगान

शिकागो की सड़कों पर
तुम्हारे ख़ून में सना परचम
अब एक उफनता सैलाब बन गया है

उफनते सैलाब और हवाओं के इन दिनों में
मैं तुम्हारा इस्तकबाल करता हूँ
मई दिवस के वीरों!
तुम्हें सलाम करता हूँ।
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रचना दिनांक 28 अगस्त 1994

रतन चौहान : 6 जुलाई 1945, गाँव इटावा खुर्द, रतलाम, मध्य प्रदेश में एक किसान परिवार में जन्म।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि।
प्रकाशित कृतियाँ - (कविता संग्रह हिन्दी) : अंधेरे के कटते पंख, टहनियों से झाँकती किरणें।
(कविता संग्रह, अंग्रेजी) : रिवर्स केम टू माई डोअर, ‘बिफोर द लिव्ज़ टर्न पेल’, लेपर्डस एण्ड अदर पोएम्ज़।
हिन्दी से अंग्रेजी में पुस्तकाकार अनुवाद : नो सूनर, गुड बाई डिअर फ्रेन्ड्स, पोएट्री आव द पीपल, ए रेड रेड रोज़, तथा ‘सांग आव द मेन’। देश-विदेश की पत्रिकाओं में अनुवाद प्रकाशित।
साक्षात्कार, कलम, कंक, नया पथ, अभिव्यक्ति, इबारत, वसुधा, कथन, उद्भावना, कृति ओर आदि पत्रिकाओं में मूल रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, यूरोप एवं रुस के रचनाकारों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद।
इण्डियन वर्स, इण्डियन लिटरेचर, आर्ट एण्ड पोएट्री टुडे, मिथ्स एण्ड लेजन्ड्स, सेज़, टालेमी आदि में हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद।
एण्टन चेखव की कहानी ‘द ब्राइड’ और प्रख्यात कवि-समीक्षक-अनुवादक श्री विष्णु खरे की कविता ‘गुंग महल’ का नाट्य रूपान्तर। ‘हिन्दुस्तान’ और ‘पहचान’ अन्य नाट्य कृतियाँ।
अंग्रेज़ी और हिन्दी साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख।
जन आन्दोलनों में सक्रिय।
सम्प्रति - शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद से सेवा निवृत।
सम्पर्क : 6, कस्तूरबा नगर, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001. दूरभाष - 07412 264124


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2 comments:

  1. आया है मई दिवस
    उफनते सैलाब और हवाओं के इन दिनों में,
    मैं तुम्हारा इस्तकबाल करता हूँ
    मैं तुम्हारा इस्तकबाल करता हूँ

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  2. सलाम!,सलाम!,सलाम!

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