tag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post4453488011840459496..comments2023-07-06T17:01:42.188+05:30Comments on मित्र-धन: कोई दीप जलाया होगाविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-11650553867249086152009-02-28T21:51:00.000+05:302009-02-28T21:51:00.000+05:30बहुत बढ़िया गजल . धन्यवादबहुत बढ़िया गजल . धन्यवादसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-24938198041932997362009-02-28T11:09:00.000+05:302009-02-28T11:09:00.000+05:30आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,आज फिर आदमी ने ...आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,<BR/>आज फिर आदमी ने सर को उठाया होगा ।<BR/>बहुत बढ़िया गजल पेश किया है आपने । गजल की हर लाईन लाजबाब है धन्यवादkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-20622641997555905882009-02-28T11:08:00.000+05:302009-02-28T11:08:00.000+05:30आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,आज फिर आदमी ने ...आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,<BR/>आज फिर आदमी ने सर को उठाया होगा ।<BR/>बहुत बढ़िया गजल पेश किया है आपने । गजल की हर लाईन लाजबाब है धन्यवादkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-385198001912778397.post-25423282201121298682009-02-28T09:56:00.000+05:302009-02-28T09:56:00.000+05:30आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,आज फिर आदमी ने ...आज फिर रहनुमाओं की झुकी-झुकी नज़रें,<BR/>आज फिर आदमी ने सर को उठाया होगा ।<BR/>बहुत ही सुंदर और काबिल गजल है। और यह शेर तो बहुत ही उम्दा है। बधाई! बैरागी जी, इतनी खूबसूरत गजल पढ़वाने और एक गजलकार से मिलवाने का।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com